पौड़ी/देहरादून : डांडिया और लोहड़ी की तरह अब देशभर में इगास का उल्लास भी नज़र आएगा। जी हां उत्तराखण्ड के इस लोकपर्व को पुनर्जीवित करने की गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी की मुहिम रंग ला रही है। उत्तराखंड अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक आस्था मान्यताओं व लोक परंपराओं के लिए अपनी विशिष्ट पहचान रखती है।
लोक पर्व इगास भी एक ऐसी ही परंपरा है जो सदियों से देवभूमि में चली आ रही है जिसे उत्तराखंडवासी बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। लेकिन पलायन और बदलते दौर में ये सांस्कृतिक विरासत उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों तक ही सिमटी जा रही थी। इस दिशा में सांसद अनिल बलूनी ने प्रयास किया, इगास को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने की मुहिम छेड़ी , और आज इगास बग्वाल का पर्व देश भर में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुका है। दीपावली के 11 दिन बाद इगास बग्वाल मनाया जाता है जिसे मनाने के पीछे दो लोकमान्यताएं बड़ी प्रचलित हैं। पहली यह की भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खबर गढ़वाल में 11 दिन बाद पहुंची थी इसीलिए दीपावली के 11 दिन बाद इगास बग्वाल का पर्व मनाते हैं और दूसरी यह की गढ़वाल के वीर माधव सिंह भंडारी की सेना तिब्बत का युद्ध जीतकर दीपावली के 11 दिन बाद लौटी थी इसी वजह से इगास बग्वाल का पर्व मनाते हैं।
इगास बग्वाल के अवसर पर गढ़वाल लोकसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने सांस्कृतिक नगरी पौड़ी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में उत्तराखंड की लोकसंस्कृति के पावन लोकपर्व इगास महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार से लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी मौजूद रहे।
इस मौके पर सांसद बलूनी ने कहा कि यह हम लोगों के लिए बहुत ही आनंद का क्षण है और हम लोगों के लिए बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि पिछले कुछ समय से हमने जब इगास मनाना शुरू किया तो आज इस वर्ष हम देख रहे हैं कि पूरे उत्तराखंड में और उत्तराखंड में भी क्यों, देश भर में और दुनिया भर में रहने वाले उत्तराखंडी जहां-जहां हैं, वे सब लोग इगास मना रहे हैं और इगास का यह रूप देख के हम सबको प्रसन्नता हो रही है। हम लोगों ने पिछले कुछ सालों में इसको घर-घर पहुंचाने का प्रयास किया है। मैं उत्तराखंड के सभी लोगों को और देशवासियों को इगास की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं देता हूँ।
भाजपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जो विजन रहा है कि जो हमारे लोकपर्व विलुप्त होते जा रहे हैं, उन लोक पर्वों को कैसे हम पुनर्जीवित कर सके। हमने उन्हीं से ये प्रेरणा लेते हुए हम सभी लोगों ने प्रयास किया और आज यह हम सफल भी होते दिख रहे हैं। आज पूरे राज्य और पूरे उत्तराखंडी समाज में इगास मनाया जा रहा है।
अनिल बलूनी ने कहा कि आने वाले समय में हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि जैसे गुजरात में नवरात्रि में डांडिया की चर्चा होती है, जैसे असम के बिहू की चर्चा होती है, जैसे पंजाब के लोहड़ी की चर्चा होती है, इसी प्रकार से जब भी उत्तराखंड की चर्चा हो तो उसमें इगास लोकपर्व की भी जरूर चर्चा हो। इस तरह से पूरे देश में हम इगास को स्थापित करना चाहते हैं और इसमें सब लोगों का, सभी उत्तराखंडी समाज का हमको सहयोग चाहिए और मिल भी रहा है।



