गर्मी के सितम के बीच बिजली ने निकाला दम। जी हां प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ गए है , पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबी गरीब जनता की सांस गर्मी ने फुला कर रखी और अब तो बचा कुचा दम बिजली ने निकाल दिया। प्रदेश में बिजली अब महंगी हो गई है। बिजली के दाम करीब 6.92 फ़ीसदी बढ़ाए गए हैं।
राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है और मतदान निपटने के बाद अब जब बिजली के दाम बढ़े तो सियासी करंट भी दौड़ने लगा है। बढ़े बिजली के दामों को लेकर कांग्रेस राज्य सरकार के खिलाफ मुखर हो गयी है , प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष करन माहरा ने बिजली की दरों में की गई वृद्धि पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे महंगाई के बोझ से दबी जनता के सिर पर और बोझ डालने वाला बताया।
मुख्यमंत्री पुष्कर पुष्कर धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है, जो कि जनहित में न्यायोचित नहीं होता है। बिजली की दरों में बढोत्तरी के राज्य सरकार के निर्णय से पहले से ही मंहगाई की मार झेल रही प्रदेश की जनता पर दोहरी मार पड़ेगी जिसका खामियाजा गरीब, किसान व आम जनता को भुगतना पड़ेगा। विद्युत उत्पादक राज्य होने के बावजूद उत्तराखण्ड राज्य में पूर्व से ही बिजली की दरें अन्य कई राज्यों जिनमें विद्युत उत्पादन लगभग शून्य है, की अपेक्षा काफी अधिक हैं , व अब अतिरिक्त बिजली खरीदने व नवीनीकरण के नाम पर एडीबी से लिये जा रहे नये लोन का बोझ भी प्रदेश की आम जनता पर थोपा जा रहा है।
करन माहरा ने कहा कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जनता को राहत देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार द्वारा चुनाव की वोटिंग समाप्त होते ही जनता पर महंगाई का बोझ डालन शुरू कर दिया है , केन्द्र सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण गरीब व आम आदमी पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त है। करन माहरा का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 से 2024 के बीच 7 वर्ष के अन्तराल में बिजली के दामों में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके विपरीत आम जरूरत की चीजों के दामों में कई गुना वृद्धि पर केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। रसोई गैस, पेट्रोलिय पदार्थ तथा खाद्य्य पदार्थों के लगातार बढ़ रहे दामों के बाद अब राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में भारी वृद्धि कर जनता को मंहगाई के बोझ से लादने का काम किया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि विभागीय लापरवाही के चलते होने वाले लाईन लॉस की क्षतिपूर्ति आम उपभोक्ता की जेब से किये जाना सही नहीं है , करन माहरा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विभाग का यह फैसला तर्क संगत नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर अस्पताल, स्कूल, कॉलेजों की बिजली भी मंहगी होने से शिक्षा मंहगी होने का अंदेशा है वहीं किसानों के नलकूपों के लिए बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी पहले से कर्ज के बोझ से दबे किसानों की कमर तोड़ने जैसा है।



