देहरादून: धामी कैबिनेट द्वारा राज्य के चारधाम व अन्य प्रमुख मन्दिरों के नाम से ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए बाकायदा कठोर प्राविधान किये जायेंगे। जिसके चलते कोई भी व्यक्ति देवभूमि के चारधाम सहित प्रमुख मंदिरों के नाम का प्रयोग कर ट्रस्ट नहीं बना सकेंगे , जिससे पवित्र धार्मिक स्थलों के नाम का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा। मन्त्रिमण्डल की बैठक में इसपर चर्चा हुई है और तय किया गया है कि इसके लिए कड़े नियम बनाये जाएंगे जो कि भविष्य में होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक के समक्ष रखे जाएंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में गुरूवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में राज्य में स्थित चार धाम एवं अन्य प्रमुख मन्दिरों के मिलते जुलते नाम पर समिति अथवा ट्रस्ट के गठन के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने का निर्णय लिया है। कैबिनेट के समक्ष यह विषय चर्चा हेतु रखा गया था कि हाल के समय में राज्य में कतिपय व्यक्ति / संस्थाओं द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में अवस्थित चार धाम यथा श्री केदारनाथ धाम, श्री बद्रीनाथ धाम, श्री गंगोत्री धाम, श्री यमुनोत्री धाम व अन्य प्रमुख मन्दिरों के नाम का अथवा इनके संचालन हेतु गठित ट्रस्ट/ समिति के नाम से मिलते-जुलते नाम का प्रयोग कर ट्रस्ट/ समिति आदि बनाई जा रही है।
प्रदेश में इस प्रकार की गतिविधियों से जन सामान्य में असमंजस की स्थिति उत्पन्न होने के साथ ही स्थानीय परम्पराओं एवं धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस पहुँचती है, तथा स्थानीय स्तर पर आक्रोश की भी सम्भावना रहती है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कड़े विधिक प्राविधान लागू किये जाने का निर्णय कैबिनेट द्वारा राज्य हित में लिया गया है। अब राज्य के अन्दर अथवा राज्य के बाहर कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किसी समिति अथवा ट्रस्ट का गठन कर राज्य के चार धामों एवं प्रमुख मंदिरों के नाम पर समिति अथवा ट्रस्ट का गठन नहीं कर पायेगा। इससे इस संबंध में उत्पन्न विवाद का भी समाधान हो सकेगा।
दिल्ली में केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर के शिलान्यास और भूमि पूजन के बाद नाम को लेकर विवाद उठा। तीर्थपुरोहितो ने इसका विरोध शुरू कर दिया। जिसके बाद ट्रस्ट संचालकों ने नाम बदलने का फैसला किया। लेकिन इससे एक विवाद खड़ा हो गया। भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए धामी सरकार अब ऐसे प्राविधान करने जा रही है।



