देहरादून : हिमालयी सरोकारों और सामाजिक चेतना के लिए प्रारंभ की गई “गंगधारा – विचारों के प्रवाह की श्रृंखला” का दूसरा संस्करण इस वर्ष 15 नवंबर को देहरादून में आयोजित किया जाएगा। देवभूमि विकास संस्थान द्वारा आयोजित यह एकदिवसीय कार्यक्रम इस बार एक अत्यंत समसामयिक विषय — “प्री-वैडिंग काउंसिलिंग” पर केंद्रित रहेगा।
दून विश्वविद्यालय परिसर में रविवार को देवभूमि विकास संस्थान के संरक्षक, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में आयोजन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा हुई।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने अपने संबोधन में कहा कि गंगधारा केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और संवाद की निरंतर धारा है। विवाह एक पवित्र बंधन है, किंतु बदलते सामाजिक परिवेश में अनेक रिश्ते समय से पहले टूटने लगे हैं। ऐसे में ‘प्री-वैडिंग काउंसिलिंग’ समय की आवश्यकता है, ताकि वैवाहिक जीवन में समझ, संवेदना और स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि गंगधारा के अंतर्गत हर वर्ष सामाजिक और हिमालयी विषयों पर विचारों का प्रवाह जारी रहेगा। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 15 नवंबर को कार्यक्रम दो सत्रों में होगा —
•प्रथम सत्र में उद्घाटन समारोह, पत्रिका विमोचन और पिछले वर्ष के गंगधारा आयोजन की समीक्षा की जाएगी।
•द्वितीय सत्र में खुली चर्चा और संवाद होगा, जिसमें विधि एवं मनोविज्ञान के विशेषज्ञ “प्री-वैडिंग काउंसिलिंग” विषय पर अपने विचार साझा करेंगे।
बैठक में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, प्रो. एच.सी. पुरोहित, डॉ. राजेश भट्ट, डॉ. दीपक भट्ट, देवभूमि विकास संस्थान की मेन ट्रस्टी कृति रावत, सचिव सतेंद्र नेगी, कोषाध्यक्ष उमेश रावत, एडवोकेट रवि नेगी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।



