कोटद्वार : महर्षि कण्व की तपस्थली व महाराज भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की मुहिम आगे बढ़ती जा रही है। गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कोटद्वार स्थित कण्वाश्रम को वैश्विक मानचित्र पर अंकित करवाने का बीड़ा अपने कंधों पर लिया है। इसी कड़ी में पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग की टीम ने कण्वाश्रम पहुंचकर खोजबीन की है और पुरातात्विक अवशेषों को एकत्रित किया है ताकि इनका विस्तृत अध्ययन कर कण्वाश्रम को लेकर और अधिक जानकारी जुटाई जा सके। दरअसल कण्वाश्रम देवभूमि उत्तराखंड की ऐतिहासिक और पौराणिक सांस्कृतिक विरासत को संजोए एक ऐसा स्थल है जो भारतवर्ष की गौरवगाथा का भी गवाह है। ये उन महान राजा भरत की जन्मस्थली है जिनके नाम से हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। कहा जाता है कि प्राचीन समय में केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थ मार्ग का भी कण्वाश्रम एक महत्वपूर्ण पड़ाव था और एक प्रख्यात विद्यापीठ भी रहा। अभिज्ञान शाकुंतलम में भी कण्वाश्रम का जिक्र मिलता है और आज कोटद्वार का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
मालिनी नदी के तट पर बसे इस आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व के स्थल को पिछले लंबे समय से विश्व मानचित्र पर लाने की कोशिश की जा रही है और गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने इस दिशा में जो मुहिम छेड़ी है उसे अब मुहूर्त रूप देने की दिशा में काम किया जा रहा है। पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने कण्वाश्रम से पुरातात्विक महत्व के अवशेष एकत्रित किए हैं जिनका वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा ताकि इस स्थल के बारे में और अधिक जानकारी जुटाई जा सके। गढ़वाल लोक सभा सांसद अनिल बलूनी का कहना है कि कण्वाश्रम का पुरातत्व विभाग की टीम ने प्रथम सर्वे किया है , अगर खुदाई की आवश्यकता पड़ती है तो वह भी की जाएगी और भी सर्वे किए जाएंगे हमारी कोशिश ये ही है कि इसका दस्तावेजीकरण किया जाए और उसके बाद यहां पर एक स्मारक बनाया जाएगा। कण्वाश्रम को विश्व के मानचित्र पर लाने की योजना पर काम किया जाएगा। इस बात में जरा भी संदेह नहीं कि आने वाले वक्त में ऋषि कण्व की तपस्थली राजा भरत की जन्मस्थली विश्व पटल पर जानी जाएगी।



