अभी तो कदम बढ़ाए हैं मैंने , लंबी उड़ान तो अभी बाकी है , अभी तो सिर्फ चलना सीखा है मैंने , अभी तो सारा आसमान बाकी है। जी हां, अगर हौसला हो और कुछ करने की ठान ली तो फिर मंजिल आपसे दूर नहीं। पहाड़ की बेटी श्रीजा रावत ने भी अपने जज्बे और मेहनत के दम पर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लॉ प्रोग्राम में प्रवेश पाकर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि राज्य का नाम भी रौशन किया है।
श्रीजा रावत ने 25 साल की उम्र में अपनी मेहनत के दम पर कानून , विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एल एल एम में प्रवेश पा लिया है। अपनी सफलता पर श्रीजा बेहद ही खुश है और अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता और बहन को देती हैं। श्रीजा के पिता पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं और उनकी माता सुनीता रावत एक शिक्षिका हैं। श्रीजा की सफलता पर आज माता पिता भी बेहद खुश हैं। वो भी मानते हैं कि आज श्रीजा ने अपनी मेहनत के दम पर सफलता अर्जित की है और आगे उसे और मेहनत करके अपनी मंजिल को हासिल करना है। वे मानते हैं कि आज बेटियां किसी से भी कम नहीं और हर क्षेत्र में आगे रहने के साथ ही देश का नाम भी रौशन कर रही हैं।
मुख्यमंत्री रहते हुए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए कई बड़े फैसले लिए थे। महिलाओं को संपत्ति में सहखातेदार का अधिकार दिया , पहाड़ की महिलाओं को घर पर ही चारा उपलब्ध करवाने के लिए घसियारी कल्याण योजना चलाई , महिला स्वयं सहायता समूहों को बिना ब्याज ऋण उपलब्ध करवाए गए ताकि पहाड़ की बेटियां सशक्त हो सकें।
पहाड़ का नाम रौशन कर रही आज पहाड़ की बेटियां
चाहे एवरेस्ट की ऊंची चोटी हो या फिर देश की सरहदों की हिफाजत की बात हो , चाहे बाद राजनीति की हो या फिर बाद हो प्रशासन की , आज उत्तराखंड की बेटियां कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ रही है और हर क्षेत्र में देश और प्रदेश का नाम भी रौशन कर रही है। एक वक्त था जब पहाड़ की बेटियों के सामने पहाड़ सी चुनौतियां खड़ी थी , लेकिन बदलते वक्त के साथ ही अब तस्वीर भी बदल रही है। पहाड़ की बेटियों के हौसले पहाड़ से बुलंद होते हैं , और इन्हीं हौसलों के दम पर वे तमाम चुनौतियों को पार कर अपना एक अलग मुकाम बना रही हैं। अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आज उत्तराखंड विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भी पहाड़ की बेटी है। उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी आज देवभूमि की बेटियों के लिए मार्गदर्शक बन रही हैं।



